एक कोरोना के अजगर ने

 

 
भूख कहे
रोटी दो हमको
चाहे हो वो बिन तरकारी

मेहनत लिए फावड़ा बैठी
सर घुटनों पर रखे हुए
पात कली
भूखे रोते है
बरगद भी कब सखा हुए

सरदारों से
नहीं चाहिए
अभी योजनाएँ सरकारी

गाँव पूछते शहरों से क्या
तुम ही हो संतान देश की
एक करोना के अजगर ने
पोल खोल दी इसी वेश की

नहीं भिखारी
हम हैं सुन लो
नहीं है होना अब संस्कारी

- गीता पंडित 
१ जून २०२०

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