घर से न निकल पड़ना

 

 
यह देश आज बोले
तू साथ-साथ हो ले
पर गाँठ बाँध रखना
घर से न निकल पड़ना

मौका मिला है घर मे
मम्मी के हाल पूछो
पापा के पास हैं जो
उनके सवाल बूझो
बस दूर से ही लेकिन
उनको प्रणाम करना

जो प्यार के तराने
तुमने थे कभी गाये
जो साथ-साथ मिलकर
तुमने थे गुनगुनाए
फुरसत है फिर बहाओ
गीतों का वही झरना

बच्चों के साथ बैठो
कुछ देर मुस्कुराओ
परियों के देश जा कर
चाँदी के रथ सजाओ
बस गेट से निकल कर
बाहर न कदम रखना

- प्रदीप कुमार शुक्ल
१ जून २०२०

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