मातृभाषा के प्रति

 

 

 

 

हिन्दी हिन्दुस्तान चाहिए

अब सच्चा सम्मान चाहिए
हिन्दी हिन्दुस्तान चाहिए !

प्रेम और शृंगार
भक्ति के संवेदन से अभिसिंचित है
तुलसी और जायसी को प्रिय वर्तमान युग की संस्कृत है
इसमें सारा चिंतन दर्शन ज्ञान और
विज्ञान चाहिए !

दृश्य श्रव्य के
माध्यम सारे कभी न भटकें अपने पथ से
जग-भर का परिचय करवाएँ, इस वाणी के चित से सत से
ऑस्कर-से जगमग मंचों पर झिलमिल इसकी
शान चाहिए

शब्द शक्ति है
शब्द ब्रह्म है ब्रह्मसरोवर-सी अपार है
ब्रह्मकमल-सी प्यारी न्यारी बगिया की शोभा बहार है
मंगलमय स्वर मानवता का जनगण का
उत्थान चाहिए !

रत्नद्वीप है
सुभाषितों की भाव-रसों का अमरकोष है
बर्बरता के होश उड़ाती जयगाथा है देवघोष है
भारतमाता की संतति की हमें यही
पहचान चाहिए !

अश्विनी कुमार विष्णु
९ सितंबर २०१३

 

   

 

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