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होली है!!

 

फागुन आया

फागुन आया द्वार पर, ओढ़े चुनरी लाल
देखो होली का मचा, कैसा रंग धमाल

हर मन में बजने लगे, ढपली ताशे ढोल
धुआँ भरी -सी ज़िंदगी, बनी रंगीले घोल

गली -गली बहने लगा, रंगों का मधुमास
हृदय हृदय होने लगा, फागुन का आभास

चढ़ी खुमारी फागुनी, हवा हुई अलमस्त
हर सूरत लगने लगी, परियों सी मदमस्त

ऊब-डूब सब हो रहे, भाँति-भाँति के रंग
ढोलक की हर थाप से, चढ़ी जा रही भंग

मंजु मिश्रा
१४ मार्च २०११

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