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रंगों की बयार

सूरज की सोने सी किरणें
आलिंगन मे मुझको लेती
रंग सुनहला मल चेहरे पर
गर्म साँस से तर कर देती

गेहूँ की अधपकी बालियाँ
हिय को झूला झुला रही हैं
ज्यों ही मसले रंग दूधिया
जादू जैसा दिखा रही है

अलसाये फूलों के पते
शीतल झोंको को दे डालो
पवन चूम लेगी मतवाली
मन आँगन अपने महका लो

क्यारी में फूलों की चादर
रंगों की बयार बह रही
मौसम बदला होली आई
फागुन की यह भोर कह रही

- त्रिलोचना कौर
१ मार्च २०१९

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