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 आया है फागुन फगुआता

छटा अनोखी सी छिटकाता
सर्दी पतझड़ सब झुठलाता
झाँझ मजीरे ढोल बजाता
आया है फागुन फगुआता

रंगों से जब रंग मिलेंगें
नव सज्जा नव रूप खिलेगें
बगिया में बहार बहुरंगी
उमड़े घुमड़े चाह विहंगी

प्रेम-सुधा मधुरस बरसाता
आया है फागुन फगुआता

अठखेली अंजलि अबीर से
पिचकारी के प्रेम नीर से
घट घट तक उल्लास उमंगें
कान्हा मचलेंगे अधीर से

ठुमरी कजरी गाता गाता
आया है फागुन फगुआता

जिन माँगों के सिंदूर धुले
हमसंगी जिनके दूर चले
अघट वेदना कुछ कम करने
राहों के काँटें क्रूर हरें

नयनों में आँसू ढलकाता
आया है फागुन फगुआता

- ओम प्रकाश नौटियाल
१ मार्च २०१९

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