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होली मन आकाश पर : दोहे

होली मन आकाश पर, करे रंग बौछार
तन-मन सिंचित कर रहा, प्रणयी का व्यवहार

फगुआ पायल बाँध कर, नाच रहा हर ठाँव
घूँघट भी फिरने लगे, फागुन के सँग गाँव

श्याम रंग पर कब चढ़ा, दूजा कोई रंग
श्याम रंग में रँग गये, जमुना-कूल-तरंग

पिचकारी ले हाथ में, पिय तक मारें धार
हँस-हँस अँग पर सह रही, रंग धार की मार

फगुहारे चौपाल में, गाते रसिया फाग
नयन लाज भर हँस पड़ी, सम्मुख देख सुहाग

चंचरीक मधु पानकर, हो बैठा बेताल
फिर भी कलियाँ कह रहीं, गाओ तुम हर हाल

सम्मुख जूही देखकर, मुस्काया कचनार
आ तुझ पर रँग टाँक दूँ, होली का त्यौहार

फागुन गाता फिर रहा, सतरंगी से राग
मन बासंती खेलना, चाह रहा है फाग

- अनिल कुमार मिश्र

१ मार्च २०२०

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