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आई होली

नटखट हवायें
कर रहीं हैं
फूल-कलियों से ठिठोली
कोकिला बोली
किलक कर
आई होली, आई होली

मुँडेरों पर
जग गई है
पंछियों की चहचहाहट
दुलरा रही
सुधियाँ सलोनी
धूप की मृदु गुनगुनाहट

प्रकृति ने
चारों तरफ ज्यों
सजा दी मनहर रंगोली
आई होली, आई होली

फूल के
झूमर पहन कर
झूमता है सहजना
खिलखिला कर
हँसी सरसों
हुआ टेसू अनमना

ये बसन्ती
पवन पागल
मल गया चेहरे पे रोली
आई होली आई होली।

- मधु प्रधान
१ मार्च २०२०

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