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माँ तुम्हारी वंदना

 

 

 
भावना तुमको समर्पित, पुष्प अर्चन कर रहा हूँ
माँ तुम्हारी वंदना के शब्द
कहता जा रहा हूँ

तोड़ दूँ मैं बंधनों को ज्ञान ऐसा दीजिये
कर सकूँ सेवा निरंतर तेज उर में कीजिये
दृष्टि को संज्ञान दे आधार दे माँ शारदे
मैं निपट तव सन्निकट नित अगन
में जल रहा हूँ

विश्व की आभा बढ़ाऊँ तम मिटा दूँ भारती
आज करते हम अकिंचन मातु तेरी आरती
पुत्र हूँ मैं आपका मातामयी माँ शारदे
विश्वास ले चिर साधना के गीत
गुनगुना रहा हूँ

है यही बस प्रार्थना हे श्वेत पद पद्मासना
सुप्त भक्ति को जगा औ डाल दे नवचेतना
विकल युग के बोध का आलोक दे माँ शारदे
इस लगन से प्रेम की अवधारणा
में पल रहा हूँ

- राहुल देव
२९ सितंबर २०१४

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