अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 

यही धरती यही धरती

भरत-की गाथा, कहानी
आर्य-जीवन की
हाँ यही धरती, यही धरती !

प्रकृति में उमड़ा हुआ उल्लास
मन मोहे
नद-महानद सरि-सरोवर
माधुरी सोहे
रुक्षता में सरसता-की
लहर-सी झरती !

नित करोड़ों आस्थाएँ कर
रहीं पोषण
शब्द का अध्यात्म तीनों
लोक का भूषण
दृश्य में अदृश्य-का
दर्शन मिली करती !

ठगिनी है मायाविनी माया
सभी कहते
सत न डिगने दें भले ही
वंचना सहते
विश्व में बन्धुत्व के
रस-रंग ही भरती !

राजकुल से राजनेता तक
बदल देखे
स्वर्णयुग क्या अकालों के
छद्म-छल देखे
सर्वहितकारी व्यवस्था
को रही वरती !!!

--अश्विनी कुमार विष्णु
१२ अगस्त २०१३


इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter