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मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 

साफ लिख दी काल ने

साफ लिख दी ‘काल’ ने है यह इबारत
‘देश’ की करते रहे हैं ये तिजारत

चौक पर नीलाम गैरत की जिन्होंने
वही जलसे में किए है अब सदारत

जिस किसी की आप भी गर्दन उतारें
आप के हाथों में हो गर वज़ारत

शहर कब्रिस्तान में तब्दील तब से
हो गयी जब से सफल इनकी शरारत

ज़लज़ला कोई उफ़क से फिर उठेगा
फिर हवाओं में लगी होने हरारत

डॉ. राजेन्द्र गौतम
१२ अगस्त २०१३


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