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मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 

भारत को कहते थे


भारत को कहते थे
सोने की चिड़िया
सुख चैन से रहते थे।


गोरों को भाया था
माता का आँचल
वो लूटने आया था


हमें याद हो कुर्बानी
वीरों की गाथा
वो जोश भरी बानी।


कैसी आजादी थी
भू का बँटवारा
माँ की बर्बादी थी।


सरहद पे रहते हैं
उनका दुख पूछो
वो क्या क्या सहते हैं।


घर की तो याद आती
प्रेम भरी पाती
उन तक न पहुँच पाती।


बतलाऊँ कैसे मैं
सबकी चिंता है
घर आऊँ कैसे मैं?


हैं घात भरी रातें
बैरी करते हैं
गोली की बरसातें।


आजादी मन भाये
कितनी बहनों के
पति लौट नहीं पाये।

१०
ये प्रेम भरी बोली
दुश्मन क्या जाने
खेले खूनी होली

-शशि पुरवार
१२ अगस्त २०१३


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