अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 
 
आजादी की राह
 

आजादी की राह चले जो कदम कभी भी थमे नहीं।
याद करें उन वीरों को जो टूट गये पर झुके नहीं।

अपना सब कुछ माँ चरणों में पूर्णलगन से चढ़ा दिया।
फाँसी के फंदों को चूमा मरने से जो डरे नहीं।

अपने दिल की बात सुनें कर्तव्यों हित ही जिये मरें।
कठिन डगर के राही हैं हम शंकाओं से घिरे नहीं।

नैतिक मूल्यों की खातिर पूरी निष्ठा से बढ़े चलें।
चाहे प्राण भले ही जायें वचन कभी भी तजे नहीं।

ज्ञान किरण से आलोकित भारत का कण-कण खिला हुआ।
स्वच्छ बने नदियाँ सागर तक बहने से अब रुके नहीं।

अवतारों ऋषियों के वंशज भारत के सुत गुणी बहुत।
विजय का परचम फहराने में जग में पीछे हटे नहीं।

वीर सुता भारत माता अब प्रगति पथ पर बढ़े चले।
इस हेतू भारत वासी के कदमों की गति रुके नहीं।

-सुरेन्द्रपाल वैद्य
११ अगस्त २०१४


इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter