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मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 
 
अपना देश
 

देश और परदेश
बनते नहीं
सीमाओं से
इसीलिए बँटकर भी
वो होता नहीं पराया
देश तो है
एक अहसास
जो रहता है
हमारे भीतर और
जो धड़कता है
दिल की तरह



कोई पूछे मुझसे
कि क्या है
अपने देश की परिभाषा
तो कहूँगी मैं
जिसकी मिटटी से भी
हो प्यार
वही तो
अपना देश है यार



वही धरती
और वैसी ही
उसकी हरीतिमा
और होता है
आसमान भी
वैसा ही नीला
मगर कुछ तो
होता है
अपने देश में
जो उसे
बना देता है अपना
नितांत अपना




वैभव मिलते बहुत सुख
जब रहते हम परदेश
दिल में एक कसक की
याद आता है देश



सुख वैभव भी और
बहुत कुछ
देता है
परदेश
पर फिर भी
न जाने क्यूँ
याद आता है
अपना देश

-उर्मिला शुक्ला
११ अगस्त २०१४

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