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श्याम फिर एक बार तुम मिल जाते१
     

 





 

 


 




 


जहाँ से तुम गए
वहाँ घनी शांति है
प्रभास२ क्षेत्र की जमीन बुहारता एक जन
इशारा करता है
यही है वह जगह

भालका२ में बारिश की बूँदें
रुक-रुक कर गिरती हैं
सरस्वती समुन्दर के पास आकर थिर हो गयी है

उन चरणों से यहीं बहा होगा रक्त
उसकी कणिकाएँ
किस बालक में दौड़ रही होंगी

समय ढूँढ रहा है
अतल गहराइयों से
बाहर आने के मार्ग
द्वारका में खोले जा रहे हैं पट
और खोज रही हैं मूर्तियाँ
अपने अपने प्रतिरूप
जयकारे करते असंख्यों में

सुदामा बटोर रहा है बिखरे हुए चावल
अर्जुन लौट रहा है परास्त
उद्धव के पास नहीं राधा का सामना करने की तरकीब
सभ्यताएँ धो रही हैं थकान का मुख
रक्त की नदियों में

और तुम अब भी सोच रहे हो
श्याम?

-परमेश्वर फुँकवाल
१८ अगस्त २०१४
 

१ इस शीर्षक से गुजराती के प्रसिद्द साहित्यकार श्री दिनकर जोशी का एक उपन्यास है.
२ वेरावल के निकट प्रभास क्षेत्र में भालका तीर्थ वह स्थान है जहाँ श्री कृष्ण ने पैर में तीर लगने से देह विसर्जन किया था।
 

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