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शांति सुख का हो मौसम
(मुक्तक)
 
शान्ति-सुख का हो मौसम नये साल में
आँख कोई न हो नम नये साल में
कामना है यही सबके हाथों में हो
बस मुहब्बत का परचम नये साल में

हर जुबां पर मुहब्बत की वानी मिले
आँख खोले हुये राजधानी मिले
हों वो हिन्दू, कि मुस्लिम, ईसाई कि सिख
सब मिलें ज्यों कि पानी मे पानी मिले

फूल, फल, पत्तियाँ हों हर-इक डाल मेँ
हो परिन्दा न कोई कहीं जाल मेँ
हम मेँ दुख-सुख रहें रात-दिन की तरह
कामना है यही इस नये साल मेँ

अन्न, जल, धूप, छाया सभी को मिले
सर पे अपनों का साया सभी को मिले
कामना है नये साल में शान्ति-सुख
हो वो अपना-पराया सभी को मिले

भेड़िये हों न इंसान की खाल मेँ
हो न काला कहीं भी किसी दाल मेँ
मिल सके हर किसी को किये की सज़ा
न्याय दुर्लभ न हो इस नये साल मेँ

- जय चक्रवर्ती 
१ जनवरी २०१७

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