अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

नव वर्ष अभिनंदन
2007

    नए साल में गुनगुनाते रहें

 

गुनगुनाते रहें गीत गाते रहें
हम नए साल में मुसकुराते रहें

खूं के छींटे कहीं भी दिखाई न दें
हम जहाँ भी रहें खिलखिलाते रहें

चाँद निकले तो सहमे न अबके बरस
रोज़ हम चाँदनी में नहाते रहें

लाख आँधी चले नफ़रतों की कहीं
प्यार की पौध को हम बचाते रहें

ज़िंदगी के सफ़र में कोई भी मिले
हम उसे अपना हमदम बनाते रहें

घर किसी का न डूबे अंधेरों में अब
हम हर इक घर में दीपक जलाते रहें

ठोकरों की हमें कोई परवा न हो
जो गिरे हम उसी को उठाते रहें

इस ज़माने से घायल न घबराएँ हम
गीत ग़ज़लों की महफ़िल सजाते रहें

राजेंद्र पासवान घायल

 

नए वर्ष की शुभकामनाएँ

नए वर्ष की मित्रों शुभकामनाएँ
हमें तुम बुलाओ तुम्हें हम बुलाएँ

सभीको मिले अपनी मनचाही मंज़िल
चलो
साथ मिलकर कदम हम बढ़ाएँ

गए वक्त की कड़वी बातों को भूलें
नए वक्त को और बेहतर बनाएँ

नए वर्ष में स्वप्न साकार होंगे
जो भ्रम में हैं डूबे उन्हें हम जगाएँ

द्वार तक गया है नया एक सवेरा
नया सूर्य पहले पहल देख आएँ

सजीवन मयंक



1

शुभकामना

सुख-समृद्धि चरण पखारे
यश वैभव नित चँवर झलें
नव वर्ष में नए सिरे से
नव सृजन के सुमन खिलें
गीत मिले संगीत मिले
हर मन को मन के मीत मिले
करे कामना 'दीप' आपको
जन-जन की नित प्रीत मिले।

विनोद कुमार उईके 'दीप'

1

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter