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नव वर्ष अभिनंदन
2007

  स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा

 

स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा
उदित हुआ एक नया सितारा

चला गया है इस बस्ती से
गए साल का वो बंजारा

नए साल की नई सुबह का
हर आँगन में हो उजियारा

स्वप्न अधूरे सब हों पूरे
कोई नहीं रहे बेचारा

हर पथ से भटकी नौका को
आसानी से मिले किनारा

वक्त साथ चलता है उसके
जो न कभी वक्त से हारा

नए वर्ष की नई सुबह का
स्वागत करता है जग सारा

सजीवन मयंक

  

कुछ नया काम हो

वही मस्तियाँ वही ककहरे
क्यों वही पुरानी शाम हो
कब तक मन ही मन चुप बैठें
कुछ तो मर्ज़ी का काम हो
इस साल कुछ तो काम हो

रात है तो भटकना आसान है
ख़्वाब है तो चटकना आसान है
हम ज़रूरत में उलझे रहेंगे मगर
साथ सपनों का भी इक जहान हो
इस साल कुछ तो काम हो

ज़िंदगी का पहिया थक ही जाएगा
जो
आज माँगा कल मिल ही जाएगा
पहुँचना कहाँ है ये सोचा ही नहीं
अब खुद पर भी थोड़ा अहसान हो
इस साल तो कुछ नया काम हो

दो दिन पीछे गए दो दिन आगे
बीतेंगे ये दिन भी भागे-भागे
एक नई सुबह ज़रूर मिलती है
अब
इन रोशनियों में अपना नाम हो
इस साल तो कुछ नया काम हो

गौतम जोशी ''सिफर''

संकल्प नया

नए वर्ष की नई सुबह का
सूरज वही पुराना होगा
अपने आसपास का चेहरा
भी जाना पहचाना होगा
इन्हीं पुरातन बुनियादों पर
गढ़ें एक संकल्प नया
चलें हाथ में हाथ लिए तो
मुश्किल सफ़र सुहाना होगा

ओम प्रकाश तिवारी
 

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