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नव वर्ष
 

चालक-पथ की
जीवन रथ की
लेकर नव भाषाएँ
आया है
नव वर्ष हमारा
जागीं सब आशाएँ

नये रंगों से
रंगी ज़िन्दगी
रंगोली-सी सोहे
सात सुरों से
सजा केशियो
जैसे तन-मन मोहे
चलो समय का
पहिया घूमा
बदलीं परिभाषाएँ!

फूल-फूल में
प्रेम बढ़ेगा
महकेगी फुलवारी
धूप-चाँदनी,
बरखे बरखा
लहकेगी हर क्यारी
झोली में
सबके फल होंगे-
पूरी अभिलाषाएँ!

--अवनीश सिंह चौहान
३१ दिसंबर २०१२

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