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नव वर्ष मनाएँ
 

आओ मिलकर
फिर नववर्ष मनाएँ
चहुँ ओर उजियारा बन छाएँ

वर्षभर के दुखदर्दों की
गर्द को झाड़ दूर भगाएँ
मन में पावन विचार
फिर से उपजाएँ

खेतों में उपजें
सुनहरे दाने
वर्ष भर की भूख को
ये दूर भगाएँ

घनघोर तामसी स्वभाव के
काले बादल थे छाए
ज्योतिर्मयी स्फूर्तिदायी
भावनाओं से
इन्हें दूर भगाएँ ताकि
सात्विक सूर्य फिर से जगमगाएँ
आओ मिलकर
फिर नववर्ष मनाएँ

मीरा ठाकुर
३१ दिसंबर २०१२

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