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कहने को ही साल नया है
 

कहाँ हमारा हाल नया है
कहने को ही साल नया है

कहता है हर बेचने वाला
दाम पुराना माल नया है

बड़े हुए हैं छेद नाव में
माझी कहता पाल नया है

इन्तज़ार है रोटी का बस
हाथ हमारे थाल नया है

लोग बेसुरे समझाते हैं
नवयुग का सुर-ताल नया है

नहीं सहेगा मार दुबारा
गाँधी जी का गाल नया है

- प्रदीप कान्त
३१ दिसंबर २०१२

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