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नए वर्ष को होगा आना
 
साल पुराना ताना बाना
ठिठका ठिठुरा
लगा सुहाना

धरा-पहाड़ पर बर्फ-चढ़ गई
धुंध-हवा की परत बढ़ गई
रंग रूप
जाना पहचाना

नभ बरसाये हिम के झारे
ऊँचे नीचे मौसम सारे
पंछी ढूँढें
नया ठिकाना

गया दिसंबर धीरे धीरे
लगा साल यह भी उस तीरे
नए वर्ष को
होगा आना

- डॉ सरस्वती माथुर
२९ दिसंबर २०१४

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