अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

नव वर्ष अभिनंदन

शुभ वचन

         

'विश' तो मैं आपको पहली को भी कर सकता था
शुभ वचनों से आपका मन भर सकता था।

पर जानते हैं क्यों नहीं किया
क्योंकि पहली को तो सभी अभिनंदन करते हैं।
आप का 'मेल बाक्स' शुभकामनाओं से भरते हैं।
पर बेचारा मेल बाक्स इतना लोड कहाँ ले पाता है।
किसी का संदेश पहुँचाता है।
किसी का नहीं भी पहुँचाता है।

सो
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ
जो पिछले साल नहीं पाया इस साल पाएँ।
कम से कम एक बार
जीवनसाथी के साथ पिक्चर ज़रूर जाएँ।
अपने बच्चों के साथ एक बार ज़रूर खेलें।
अपने न हों तो दूसरों से उधार ले लें।
(अविवाहितों के लिए विशेष)

एक बार जी खोल कर ठहाका लगाएँ।
इस साल किसी भूखे को रोटी खिलाएँ।
(सहयोग भावना)

न चाहें तो एक बार भी मत नहाएँ।
पर एक बार राष्ट्रगान ज़रूर गाएँ।
नींद बहुत अच्छी आए इस साल।
सफ़ेद न हो सिर का एक भी बाल।
थोड़ा ज़्यादा माँग लिया

बड़े काम करना तो नसीब में लिखा है।
छोटी-छोटी खुशियाँ रह न जाएँ इस साल।
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ

सरदार तुकतुक

  

खुशियाँ अपार हों

मधुरिम बयार हो
शीतल फुहार हो
दिलों में सबके
ढेर-सा प्यार हो
सफलता का हार हो
न मन में प्रतिकार हो
न संबंधों में दरार हो
निर्णय में रफ्तार हो
लेखनी में धार हो
कविता में सार हो
कवितामय संसार हो
ग़ज़ल बेकरार हो
साकी के चेहरे पे
मुस्कुराहट हर बार हो
तबले की थाप पे
गूँजता सितार हो
मस्ती से छानेंगे
रोज़ यदि इतवार हो
नव वर्ष के आँगन में
खुशियाँ अपार हों।

डॉ. प्रदीप गुप्त
1 जनवरी 2007

मंगलमय हो वर्ष नया

मन सुमन सभी के खिले रहें
ओंकार गुन गाएँ हम और
दीप शांति के जले रहें।
हों परिवार सुखी सारे
संबंध सबों में मधुर रहें
स्वार्थ भावना दूर रहे
परमार्थ भावना प्रखर रहे
छँटे अँधेरा धर्मांध आतंकवाद का
मानवता का शीश झुके न
फिर विषाद से
आशाएँ उज्जवल भविष्य की
लेकर आए
साल नया हो प्रगति
और आशीर्वाद का

 प्रो देवेंद्र मिश्र
1 जनवरी 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter