पिता की तस्वीर
पिता को समर्पित कविताओं का संकलन

 


पिता 


रहे सदा जीवनभर जग में, तुम मेरी पहचान पिता,
कहाँ चुका पातीं जीवनभर,इस ऋण को संतान पिता।

चले तुम्हारी अंगुली थामे, हम पथरीली राहों पर,
बिना तुम्हारे वो सब रस्ते, रह जाते अनजान पिता।

मेरे तुतलाते बोलों ने अर्थ तुम्हीं से पाया था,
मेरी बीमारी में अक्सर बन जाते लुकमान पिता।

गुरु, जनक, पालक, पोषक, रक्षक तुम भाग्यविधाता भी,
मोल तुम्हारा जान न पाए, हम ऐसे नादान पिता।

अपनी, आँखों के तारों का, आसमान थे सचमुच तुम
सौ जन्मों तक नहीं चुकेगा, हमसे यह एहसान पिता।

तुम माँ के माथे की बिंदिया, और हमारा संबल थे,
बिना तुम्हारे माँ के संग हम, रो-रो कर हलकान पिता।

जिनके कंधे चढ़ कर हम नें जग के मेले देखे थे,
अपने कांधे तुम्हें चढ़ा कर, छोड़ आये शमशान पिता।

-रमेशचंद्र शर्मा 'आरसी'


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