आए राम
 

 
भारतीयता के संरक्षक
बनकर आए राम

अत्याचार अनय तम से
आकुल व्याकुल थे प्राण
जनाधार मँझधार मध्य था
ढूँढ़ रहा था त्राण
ऐसे कठिन समय में दिनकर
बनकर आए राम

गृहस्थ आश्रम के दुख सुख को
दी अभिनव मुस्कान
वनवासी क्या हुए किए सब
वनचर देव समान
शोषित पतित जनों के रक्षक
बनकर आए राम

- गिरि मोहन गुरु
१ अप्रैल २०१९२२ अप्रैल २०१३

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