कहानी राम की पावन

 
मिटाती मोह का बंधन कहानी राम की पावन
बना देती मधुर जीवन कहानी राम की पावन

मनुज जब हो दनुज जाये तो रहकर कोल भीलों में
मनुजता का करे प्रणयन कहानी राम की पावन

प्रखर प्रज्ञा पुरुष के सँग विलय करने सजल श्रद्धा
रचाती दर्प-धनु-भंजन कहानी राम की पावन

कहीं यदि द्वार पर सुख के चली आए घड़ी दुःख की
तो करती नम्र अभिवादन कहानी राम की पावन

लगे कितना भयावह पाप अत्याचार का दानव
कराती मान का मर्दन कहानी राम की पावन

अधर सी-सी घुटे कबतक विभीषण भीरु-सा नीरव
कराती भेद का प्रकटन कहानी राम की पावन

कभी सुख में, कभी दुःख में, कभी घर में, कभी वन में
सिखाती सत्य-अनुशीलन, कहानी राम की पावन .

- ओम नीरव
१ अप्रैल २०१९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter