आओ राम

 
लौट अवध में आओ राम

वन का तो उद्धार हो गया
आनंदित वन-संसार हो गया
अज्ञानता के खल-सागर से
हर वनवासी पार हो गया
अब हर अंतसपुर आकर देखो
जंगल के अंशों का काम
लौट अवध में आओ राम

कुछ मारीच जहाँ बन बैठे
कुछ बाली के जैसे ऐंठे
और दशानन हर नुक्कड़ पर
मर्यादा के कान उमेंठे
जगत हुआ असुरों का धाम
लौट अवध में आओ राम
लौट जगत में आओ राम

- परमजीत कौर 'रीत' 
१ अप्रैल २०१९२२ अप्रैल २०१३

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