प्रभु राम

 
प्रभु राम ही इस देश की
पहचान है यह जान लें

जिसने सिखाया विश्व को
कर्त्तव्य पथ का अनुसरण
और आजीवन किया था
मन से स्वयं उसका वरण

भक्त हैं श्रीराम के हम
यह सत्य शास्वत मान लें

सरल हो सकता नहीं है
जिन्दगी में पथ विजय का
ध्येय निष्ठा से भरा मन
सिर झुका देता समय का

हर स्थिति विपरीत को अब
देंगे चुनौती ठान लें

हो गहन दुविधा का सिंधु
पार हम करके रहेंगे
शत्रुओं के वक्ष छलनी
बिन गँवाए क्षण करेंगे

राम का प्रिय देश भारत
इस हेतु शपथ महान लें

-सुरेन्द्रपाल वैद्य  
१ अप्रैल २०१९२२ अप्रैल २०१३

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