राम अंतस का जगाओ

 
  रुग्ण होते विश्व में सुख-शान्ति लाओ
राम अंतस का जगाओ

आपदा से त्रस्त भूखे मर रहे
लाचार कितने
आँख मींचे सो रहे पट बन्द कर
व्यापार कितने
पेट हो संतृप्त नारायण जिमाओ
राम अंतस का जगाओ

विलग होकर भी कहीं पर एक है
संस्कृति हमारी
पाशविकता बढ़ गयी, इन्सानियत
अपहृत बिचारी
कह रहे प्रतिबंध, मानवता बढ़ाओ
राम अंतस का जगाओ

राम ही आधार वैश्विक शक्ति का
मानो न मानो
राम को ही साधना होगा सदा
यह सत्य जानो
राम का चिंतन करो बस राम गाओ
राम अंतस का जगाओ

- भावना तिवारी
१ अप्रैल २०२०

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