हारे की सुधि लेना राम

 
  हारे की सुधि लेना राम
करने तुम्हें ढेर से काम
हरि गंगा

खुल जायेंगे सारे राज
बजा रहे हैं कब से साज
पहुँचे कानों तक आवाज़
वंदन परभू, है परनाम
हरिगंगा

इस दुनिया में छल ही छल
जिसमें बल है वही सफल
भरा हुआ दिल में दलदल
भीड़ अलेखन, रस्ता जाम
हरिगंगा

रहे सेठ नोटों पर लेट
सोता निर्धन भूखे पेट
जैसी कुरसी वैसी भेंट
काम नहीं होता बिन दाम
हरिगंगा

नहीं गरीबी का कुछ तोड़
पेट ढाँप लें घुटने मोड़
छुपा कहीं है माल करोड़
घर में है संपदा अनाम
हरिगंगा

हर भूखे को मिले अनाज
चिथड़े देख न आये लाज
आ जाए फिर वही सु-राज
यह जग हो सबका सुखधाम
हरिगंगा

- प्रो. विश्वम्भर शुक्ल
१ अप्रैल २०२०

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