राम की मर्यादा

 
  आज राम की मर्यादा का
अवहेलन है घर-घर

सदाचार का घटना निशि दिन
दुराचार का बढ़ना
अपना दोष दूसरे सिर पर
रोज-रोज ही मढ़ना

मानवीय मूल्यों को जैसे
निगल गया हो अजगर

एक क्षोभ है-व्याकुलता है
कैसी यह गहराई
समता- सामाजिकता में भी
'भेदभाव' की खाई

सत्य-अहिंसा का मारग भी
लगता कितना जर्जर

- योगेन्द्र प्रताप मौर्य
१ अप्रैल २०२०

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