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हर तरफ दिवाली है

   



 


खेतों में बाली है
तू भी आजाना
हर तरफ दिवाली है


दीपक की झिलमिल है
काली रातों में
पूनम सी महफ़िल है


घर घर में दीप जले
काली रातों में
फिर से हम आज मिले


चौरे पर दीप जला
आई निंदिया तो
साजन का सपन पला


दीपक जगमग करते
प्रिय की यादों में
नैना मेरे भरते

- डॉ सरस्वती माथुर
२० अक्तूबर २०१४

   

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