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दीपों की माला सजी

   



 

घर-घर फैली रोशनी, उल्लासित संसार।
दीवाली पर सज गया, खुशियों का दरबार॥

दीपों की माला सजी, निशा दमकती जाय।
जगमग धरती देखकर, देवलोक ललचाय॥

सच्चा हो संकल्प तो, बनती है हर बात।
नन्हा दीपक दे रहा, अँधियारे को मात॥

धरती से अंबर तलक, उजियारे की धूम।
उत्सव के उल्लास में, सभी रहे हैं झूम॥

चौतरफा छायी हुई, रौनक और उमंग।
जीवन में रंग भर रहे, त्यौहारों के रंग॥

बच्चों को अच्छे लगे, राकेट और अनार।
अम्मा को भी भा गया, चकरी का व्यवहार॥

दीवाली पर छा गयी, जगमग चारों ओर।
मन में भी अब छँट गया, अँधियारा घनघोर॥

ज्योति पर्व की रोशनी, लाए खुशी अपार।
कृपा करें माँ लक्ष्मी, श्री गणेश दें प्यार॥

- सुबोध श्रीवास्तव
१५ अक्तूबर २०१६
   

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