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है दीप पर्व आने वाला

   



 

है दीप पर्व आने वाला
हमको भी दीप जलाना है
मन के अंदर जो बसा हुआ
सारा अंधियार मिटाना है

हम दीप जला तो लेते हैं
बाहर उजियारा कर लेते
मन का मंदिर सूना रहता
बस रस्म गुजारा कर लेते

इस बार मगर कुछ नया करें
अंतस का दीप जगाना है

बाहर का अंधियार मिटा
फिर भी ये राह अबूझी है
जब तक अंतर्मन दीप बुझा
देवत्व राह अनबूझी है

सद्ज्ञान राह फैलाकर के
सारा मानस चमकाना है

- हरि हिमांशु
१ अक्तूबर २०१७
   

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