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     1  दीवाली में अम्मा की याद

दीवाली में
रौशन घर का कोना कोना था
दीवाली में खुशियाँ थीं
अम्मा का होना था

साफ़-सफ़ाई में
माँ की संदूक
निकलती थी
चिट्पुटिया वाली
उसमें बंदूक
निकलती थी
नानी द्वारा दिया हुआ
आखिरी खिलौना था

झौआ भर दीये
मिट्टी के
आँगन में आयें
दीपमालिका देहरी
मुंडेरों पर
लहरायें
यही हमारी दीवाली का
चाँदी-सोना था

खील बताशे
खुटिया
शक्कर के हाथी घोड़े
उन गलियों में
सुधियों का
हिरना जब तब दौड़े
इस दीवाली में हमको
अम्मा को खोना था

- प्रदीप कुमार शुक्ल
१ नवंबर २०२०

 

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