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     1आज जलाकर दीप

दूर अमावस करें हृदय की
आज जलाकर दीप

नैतिकता की अब दरिद्रता
मन से करके दूर
आओ मन से बाँटें हम सब
हँसी-खुशी का नूर
अपनेपन को दीवाली में
आओ रखें समीप

मिट्टी के दीये से भर दें
खुशियों का उजियार
दीन-हीन की मदद करें हम
रोये नहीं कुम्हार
दीवाली का अर्थ तभी जब
हर घर बने प्रदीप

छोटी-छोटी खुशियों से ही
सच होगा संकल्प
प्रेम, दया, एकता भाव का
कोई नहीं विकल्प
मोती पायेंगे प्रकाश का
यदि बन जायें सीप

- रूपम झा

१ नवंबर २०२०

 

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