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आया सावन
 

 

सबके मन में प्यार जगाने आया सावन।
सूखी धरती को सरसाने आया सावन।

शुष्क पड़ी हर मिट्टी के जर्रे जर्रे को।
सौंधी खुशबू से महकाने आया सावन।

काँवड़िये गंगा से गंगाजल ले आये।
शिव को गंगा स्नान कराने आया सावन।

परदेसी साजन की मदमाती छवियों को।
सजनी के सपनों में लाने आया सावन।

बौराये बागों में झूला झूलें सखियाँ।
प्यार भरा परचम फहराने आया सावन।

बरसाती नालों से बच कर रहना सीखें।
इनको भी अब खूब बहाने आया सावन।

झिंगुर मेंढक और पपीहे को प्रिय लगता।
वर्षा ऋतु का राग सुनाने आया सावन।

-सुरेन्द्रपाल वैद्य
२८ जुलाई २०१४

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