फागुन में
              - डॉ. हरीश निगम
 

 

फूल पाने लगी है फागुन में
देह गाने लगी है फागुन में
.
सूनी-सूनी उदास खिड़की से
धूप आने लगी है फागुन में
.
सीधी सादी सी मखमली बिंदिया
ज़ुल्म ढाने लगी है फागुन में
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क्या करें हम हर एक बंदिश पर
उम्र छाने लगी है फागुन में
.
एक भूली-सी मुलाकात हरीश
रंग लाने लगी है फागुन में।

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