सुखद मधुमास है आया
              - अनामिका सिंह अना

 

वसंती ओढ़कर चूनर, सुहागन हो गयी धरिणी,
भुवन मदहोश हो झूमे, सुखद मधुमास है आया

लचकती खेत में सरसों, विपिन टेसू हुये पुष्पित
मटर की वल्लरी झूमे, हुये हलधर सभी प्रमुदित
निराली गंध महुआ की, खिली कचनार पर कलिका
दिखे हर दृश्य अति मंजुल, सुभग वसुधा बनी मलिका

भरी उन्माद में अतिशय, जगत प्रति जीव की काया
भुवन मदहोश हो झूमे, सुखद मधुमास है आया

विहंगम वृन्द कौशल से, मुदित हो व्योम में उड़ते
मनोरम दृश्य मन हरते, पथिक भी मुग्ध हो मुड़ते
मधुप मकरंद पीते हैं, पुहुप दल लाजवश नत है
गहे कर पंचशर मन्मथ, प्रणय हित मद हरारत है

सुरा रति दृग कटोरे दो, मदन रसपान है भाया
भुवन मदहोश हो झूमे, सुखद मधुमास है आया

मुदित अति सारिका तरु पर, मधुर पटमंजरी गाती
प्रणय हृद द्वार कुसुमाकर, वसंती बाँचता पाती
सकल बेहोश है जगती, न वश में काम के स्यंदन
करे परिरंभ कुसुमाकर, मले भू प्रेम का चंदन

प्रणयरत व्योम वसुधा ने, मिलन का गान है गाया
भुवन मदहोश हो झूमे, सुखद मधुमास है आया

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