डलिया भर गुझिया

 

 
होली के अवसर पर बनती है डलिया भर गुझिया
हुरियारे खाते हैं सबके घर पर जा कर गुझिया

काजू, किशमिश, खोआ, सूजी, शक्कर और बादाम
जाने कितना माल समेटे अपने अन्दर गुझिया

बीच दासियों के बैठी हो जैसे कोई रानी
वैसे ही मिष्ठान्न में बैठी है बनठनकर गुझिया

रसगुल्ला, बरफी, मठरी, बालूशाही सब फीके
सबके मन को बेहद भाती सचमुच सुन्दर गुझिया

बबलू, तब्बू,चुनिया, मुनिया दादा और दादी भी
करते हैं तारीफ बहुत दिल से,सब खाकर गुझिया

- राम अवध विश्वकर्मा
१ मार्च २०२१

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