गर्म जलेबी

 

 
गोल गोल जीवन उलझन सी-
क्यों होती है गर्म जलेबी

जीवन की सीधी राहों सा
बुन सकती थी ताना बाना
पर ये तो उलझा जीवन भी
लगती है स्वादिष्ट बनाना

गैरों की खातिर खुद तपकर-
खुश होती है गर्म जलेबी

ऊपर लगती कडक झांक तो-
दिल फूलों सा बहुत नर्म है
नयी नवेली को मत छूना-
जल जाओगे बहुत गर्म है

दूजों के सुख के सपनों में-
ही खोती है गर्म जलेबी

सारी व्यथा झेल अपने पर-
लोगों को केवल सुख देना
मीठे बोल चाशनी जैसे-
सबके ओंठो पर रख देना

स्वार्थ भरे इस अंधकार में-
इक ज्योती है गर्म जलेबी

घूम घूम कर नाचे झूमे-
ता ता थैइया, ता ता थैइया
ये शिक्षा किसने दी इसको-
कैसे नाचें पांव - कलइया

कत्थक में है निपुण, नृत्य में-
सुध खोती है गर्म जलेबी

- कृष्ण भारतीय
१ अप्रैल २०२२

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