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						इस जग में अमृत सरिस    
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इस जग में अमृत सरिस, ईश्वर का वरदान। 
सबका दिल हर्षित करे, पेय चाय अभिधान।। 
 
दूध मिली, काली, हरी, चीनी मिश्रित युक्त। 
या नीबू मधु डाल के, हो जा चिंता मुक्त।। 
 
आवभगत में शीर्ष पर, है इसका स्थान। 
अभिवादन उपरान्त जब, प्रस्तुत हो जलपान।। 
 
ठंडी ऋतु में हाथ में, कुल्हड़ में हो चाय। 
या गिलास में हो भरी, तन मन दे गरमाय।। 
 
गर्मी में भी लें सभी, समय समय पर चाय। 
तरो ताज़गी सी मिले, अरु थकन मिट जाय।। 
 
धरती की अनुपम यहाँ, मिली हमें सौगात। 
घर बाहर तृष्णा हरे, साथ रहे दिन रात।। 
 
असम दार्जिलिंग नीलगिरी, अलग स्वाद जो भाय। 
रंग सुगंध बेजोड़ है, मधुर मसाला चाय।। 
 
- ज्योतिर्मयी पंत 
१ जुलाई २०२० 
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