चाय          

 
हमारे तुम्हारे बीच रखी यह चाय
बस चाय नही है
चाय से उठती भाप
छिपा लेती हैं
शिकायत हमारी तुम्हारी
चाय की गर्मी
पिघला देती है
जमी बर्फ रिश्तों पर सारी
क्योंकि
हमारे तुम्हारे बीच रखी यह चाय
बस चाय नही है।

चाय के कप को
पकड़ने के प्रयास में
छू जाती हैं उंगलिया
और तब अचानक ही
जगा देती हैं
सोई हुई सम्वेदना
क्योंकि
हमारे तुम्हारे बीच रखी यह चाय
बस चाय नही है।

जाता हुआ समय
यह चाय थाम लेती है
जो हमको हमी
से छीन रहा था
लौटा देती है
इसीलिये तो चाय का
बहाना जरूरी है
चाय पर आना जरूरी है
क्योंकि
हमारे तुम्हारे बीच रखी यह चाय
बस चाय नही है।

- अलका प्रमोद
१ जुलाई २०२०

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