चाय की प्याली

 

 
चाय की प्याली करे प्रतीक्षा
कोई तो अब आए
बात करे और गप्पें मारे
सन्नाटा छँट जाए

वृक्षों के परिधान हरे हैं
अंक भरे हैं सपने
झूल रहे उनकी बाहों में
नन्हें बच्चे अपने
अंबर पाखी भी मुसकाकर
नील नील हो गाए

चाय की प्याली करे प्रतीक्षा
कोई तो अब आए

सुबह शाम घर की दीवारें
खुद-खुद से बतियाएँ
सुन्न पड़ी हैं कवि गोष्ठी
माइक शोक मनाएँ
प्याली बिस्किट और समोसे
चाय चाय चिल्लाए

चाय की प्याली करे प्रतीक्षा
कोई तो अब आए

पीड़ा हरने वाली तुम हो
सखी बहुत ही प्यारी
एकाकी हर पल की साकी
सदा निभाए यारी
फिर से खनके पल की प्याली
ड्योढ़ी गीत सुनाए

चाय की प्याली करे प्रतीक्षा
कोई तो अब आए

- गीता पंडित
१ जुलाई २०२०

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