चलो चाय पी जाये

 

 
मूल्य हैं रसातल में दाम हैं कंगूरों पर
समझदार चुप है सब भार है लंगूरों पर
यक्ष प्रश्न कैसे तय बड़ी उम्र की जाए
छोड़ो उलझन सारी चलो चाय पी जाए

मुखिया है मुखर तथ्य ढलना है कृत्य में
पक्ष और विपक्ष सभी गिरे हैं असत्य में
उँगलियाँ उठाने वाले लंगड़े हैं लूले हैं
कौरव क्या पांडव तक शामिल दुष्कृत्य में
डिग्रियाँ दुकानों में तरुणाई थानों में
स्वर्ण सुरा सुंदरी
धर्म के ठिकानों में
मठाधीश बहरे किससे गुहार की जाए
छोड़ो असमंजस बस चलो चाय पी जाए

अंध बधिर शासन है निरंकुश प्रशासन है
अनगिन बैसाखियाँ हिलता सिंहासन है
मन काले धन काले लूट के जतन काले
पांचाली राजनीति तंत्र का दुशासन है
बेबस है विधि विधान संरक्षक बेजुबान
दुर्धर्ष योद्धाओं के
कुंठित हैं धनुष बाण
फिर वही सवाल अब कमान किसे दी जाए
छोड़ो झंझट सारे चलो चाय पी जाए

कविता संगीत कला सृजन से हुए व्यापार
कीर्ति यश अलंकरण बने सिर्फ धनाधार
तेल बेचते बच्चन सचिन बाँटते कोला
भरमाते विज्ञापन बुद्धि हुई तार तार
मीडिया बिकाऊ है सिनेमा उबाऊ है
खाद्यों में मिक्सिंग है
मैचों में फिक्सिंग है
समाधान क्या हो किससे सलाह ली जाए
छोड़ो भ्रम भटकावे चलो चाय पी जाए

- विनोद निगम
१ जुलाई २०२०

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