कोरोना आया है

 

 

कोरोना आया है
साथी सुन मेरे
अंतस घबराया है

घबराना मत साथी
आँधी आने पर
कब डरती है बाती

ये हलकी पवन नहीं
देख मरीजों को
जाती अब आस रही

मत आस कभी खोना
सूरज निकलेगा
फिर काहे का रोना

बदली सी छाई है
देने दंड हमें
कुदरत गुस्साई है

जीवन इक मेला है
दु:ख छँट जाएँगे
कुछ दिन का खेला है

- सुधा सिंह व्याघ्र
१ जून २०२१

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