बाहर कोरोना खड़ा

 

 

बाहर -कोरोना -खड़ा, -भीतर -है -भूकंप
नभ में काली बदलियाँ, बस्ती में हड़कंप

पसरा भय भूकम्प का, ऊपर से तूफान
कोरोना से अधमरी, साँसत में है जान

मजदूरों को -टेरते, -उनके -प्यारे -गाँव
भूखे- प्यासे चल दिये, पैदल नंगे पाँव

शहर-शहर-भटके-बहुत,-मिला--मन-को-ठाँव
विपदाओं -की -धूप में, यादें -शीतल -छाँव

कोरोना के खौफ से, बड़ा खौफ है भूख
तिनके इसके सामने, लाठी बम बंदूख

बातें भूख, गरीब की, पहने उम्दा सूट
निंदा -भ्रष्टाचार -की, धंधा -चोरी -लूट

- शशिकांत गीते
१ जून २०२१

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