कोरोना

 

 
लैपटाप पर आफिस चलता
मोबाइल पर मीटिंग है
कोरोना की दहशत है
या नए साल की ग्रीटिंग है

दुकानों में आपाधापी
गलियों गलियों हुल्लड़ है
दूध दाल और सब्ज़ी फल की
जात बड़ी ही अल्हड़ है

हर कोई सहमा सहमा है
ख़ुद से ख़ुद की चीटिंग है

चौराहों से स्कूलों तक
बिग बाज़ारों से मालों तक
सैनीटाइज की मारामारी
और मास्क पर तालों तक

इंसानों की जानों पर ही
कितनी ज़्यादा हीटिंग है

संकल्पों का और संयम का
इम्तिहान है दोनों का
सब्र करो और घर में बैठो
क्या है टाइम जोनों का

सेंसेक्स है फिसला फिसला
गिरती जाती रेंटिग है

जान बची तो लाखों पाए
जोखिम मत लो सुधरो अब
बचे रहे तो फिर मिल लेंगे
फ़िक्र करें दुनिया की अब

किसी वायरस के कारण
न रुके हमारी ब्रीदिंग है

- रंजना गुप्ता
१ जून २०२०

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