मातृभाषा के प्रति

 

 

 

 

विश्व वंदिता हिंदी भाषा

विश्व वन्दिता हिन्दी भाषा
भारत के जन जन की आशा
विविध स्वरूपा संस्कृतियों में
एक्य भाव की यही दिलासा

यह शासन की जन की वाणी
गुंजित शहर, गाँव, घर ढाणी,
आजादी की रणभेरी को
फूँका इसने बन कल्याणी 

हिन्दी ज्ञान सुधा की गंगा
क्यों हो फिर भाषा हित दंगा
एक सूत्र् में रखे देश को
मिल कर हिन्दी और तिरंगा 

हो हिन्दी में भाव सहन का
वैचारिक वैभिन्य वहन का,
न्याय मिले हिन्दी को पूरा
समय यही सबके चिंतन का 

-सुरेश चंद्र सर्वहारा
९ सितंबर २०१३

 

   

 

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