हिंदी पढ़ें लिखें

हिंदी पढ़ें लिखें हम बोलें
हिंदी में बतियाएँ।
इसी बहाने माँ का कर्ज़ा
थोड़ा चलो चुकाएँ।

हाँ हिंदी!
यह माँ ही तो है
याद करो हे भोला
पहले पहल बकैयाँ चलते
जब तुमने माँ बोला
छिटक गयीं थी
माँ के मुख पर
सोलह चन्द्रकलाएँ।

है संगीत गीत
उत्सव का
इसमें छिपा ककहरा
यह अपनी
माटी की खुशबू
पुरवाई का लहरा
छोड़ झील मीठे पानी की
गड़ही पर क्यों जाएँ।

जो कृतघ्न हैं
पानी पी पी
चाहे इसको कोसें
तकनीकी
वैज्ञानिक शब्दों
से हम इसको पोसें
बापू का
सपना सच करके
मुकुट इसे पहनाएँ।

- रामशंकर वर्मा
८ सितंबर २०१४

 

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